प्रार्थना
इश्वर से कुछ मांगना अच्छी बात है.लेकिन हम इतने अग्यानी हैं की हमें पता नहीं कि जो हमने माँगा है वो हमारे लिए उचित है या नहीं ? अतः हमें इश्वर से कुछ इस तरह प्राथना करनी चाहिए=========
``मरे परमप्रिय ईश्वर मेरी सारी अच्छी /उचित इक्षाएं आपकी हो जाएँ और आपकी इक्षा पूर्ण हो.
इस प्रकार कि गई प्रार्थना हमें नुकसान नहीं देती है.
आपका ही
संजय
मंगलवार, 9 नवंबर 2010
बुधवार, 3 नवंबर 2010
धर्म एक ऐसी वृती है....................................
प्रिय पाठक बंधू
धर्म एक ऐसी वृती है जिसे धारण करना पड़ता है ; अतः धर्म को अपनाने से पहले या धारण करने के पहले हमें पुर्णतः सजग रहने की जरुरत है. संस्कृत में कहा गया है ---धार्यते इति धर्मम ......................
अर्थात वो सहज वृती जिसे अपने जीवन में उतरा जा सके वो ही धर्म है.
जो भी वृती हमारे मानसिक स्थिति को अशांत करती है वो धर्म नहीं है
महाभारत युद्ध के पहले अर्जुन की मनःस्थिति अशांत हो गई थी अर्थात अर्जुन धर्म से बिमुख हो गया था फलतः भगवन श्री कृष्ण ने अर्जुन की अशांति को दूर करने के लिए धर्म का पाठ पढाया ....यही पाठ श्री मद्भागवत गीता के नाम से जाना जाता है.
फिर आगे
विश्व शनि के कामनाओ सहित
आपका
संजय
धर्म एक ऐसी वृती है जिसे धारण करना पड़ता है ; अतः धर्म को अपनाने से पहले या धारण करने के पहले हमें पुर्णतः सजग रहने की जरुरत है. संस्कृत में कहा गया है ---धार्यते इति धर्मम ......................
अर्थात वो सहज वृती जिसे अपने जीवन में उतरा जा सके वो ही धर्म है.
जो भी वृती हमारे मानसिक स्थिति को अशांत करती है वो धर्म नहीं है
महाभारत युद्ध के पहले अर्जुन की मनःस्थिति अशांत हो गई थी अर्थात अर्जुन धर्म से बिमुख हो गया था फलतः भगवन श्री कृष्ण ने अर्जुन की अशांति को दूर करने के लिए धर्म का पाठ पढाया ....यही पाठ श्री मद्भागवत गीता के नाम से जाना जाता है.
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आपका
संजय
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